उत्तराखण्ड के कांग्रेसी नेताओं ने सदन की मर्यादा की तार-तार जनता के मुद्दों पर बोलने की बजाय कांग्रेस ने सदन को बनाया अखाड़ा

उत्तराखण्ड के कांग्रेसी नेताओं ने सदन की मर्यादा की तार-तार जनता के मुद्दों पर बोलने की बजाय कांग्रेस ने सदन को बनाया अखाड़ा
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सदन में दिखा कांग्रेस का अमर्यादित व्यवहार
कांग्रेसी नेताओं ने सदन की मर्यादा की तार-तार जनता के मुद्दों पर बोलने की बजाय कांग्रेस ने सदन को बनाया अखाड़ा सदन में पटकी टेबल, फाड़े कागज जनमुद्दे नहीं शोर-शराबा है कांग्रेस का हथियार
सदन के भीतर कांग्रेस का हिंसक, अराजक व्यवहार
2014 के पंचायत चुनाव में जो अराजकता कांग्रेस ने शुरू की, वो उनके व्यवहार में आजतक शामिल है आपदा से जूझ रही जनता के जख्मों पर मरहम लगाने को गैरसैण पहुंची सरकार जनता के हितों के प्रति गंभीर। विपक्ष को जनसरोकारों से कोई लेना देना नहीं। जनता के मुद्दे उठाने की बजाय व्यक्तिगत स्वार्थ तक सीमित
सदन में कांग्रेस का हिंसक और अराजक रवैया उनकी पुरानी कुप्रवृत्ति का प्रमाण है।
जब सरकार आपदा पीड़ित जनता के बीच जाकर उनके घाव भरने में जुटी है, तब विपक्ष जनसरोकारों से मुँह मोड़कर सिर्फ अपने स्वार्थ तक सीमित है। जनता सब देख रही है—कौन उनके साथ खड़ा है और कौन केवल सत्ता की राजनीति में डूबा है
सदन के भीतर कांग्रेस का हिंसक, अराजक व्यवहार। उत्तराखंड को यूपी बिहार बनाने का प्रयास, 2014 के पंचायत चुनाव में जो अराजकता कांग्रेस ने शुरू की, वो उनके व्यवहार में आजतक शामिल है।
कांग्रेस के इसी अराजक व्यवहार के कारण जनता उन्हें विपक्ष में ही बैठाती हैं
आपदा से जूझ रही जनता के जख्मों पर मरहम लगाने को गैरसैण पहुंची सरकार जनता के हितों के प्रति गंभीर। विपक्ष को जनसरोकारों से कोई लेना देना नहीं। जनता के मुद्दे उठाने की बजाय व्यक्तिगत स्वार्थ तक सीमित, निजी स्वार्थ के लिए सदन के भीतर तोड़फोड़ करने वाली कांग्रेस अपनी एक साथी पूर्व विधायक को श्रद्धांजलि देने के लिए भी गंभीर नहीं है। सदन में श्रद्धांजलि देने के दौरान सदन में सिर्फ कांग्रेस के छह ही विधायक हैं। एक दलित महिला विधायक के प्रति कांग्रेस का ये सम्मान बताता है कि वो पिछड़े, दलितों के प्रति कितनी गंभीर है। कांग्रेस के लिए दलित सिर्फ एक नंबर गेम है। उन्हें दलितों के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है